
बसंत की बहार है,ये रंगों का त्यौहार है।
आओ रंगों में रंग जाये,यहाँ खुशियों की बौछार हैं।

नीले गगन के तले,रंगों का उपहार हैं।
रंग जाये अबीर के संग,ये खुशियों का त्यौहार है।
दिल को दिल से मिलने का,ये रंग ही आधार है।
मिलों एक दुजे के संग,ये खुशियों का त्यौहार है।
घुघरू की झंकार है,ये फाल्गुनी प्यार है।
आओ हम भी रंग जाये,रंगीन ये त्यौहार है।
रंगी हुई है वसुंधरा,फूलों की भी बौछार है।
मस्ती से आओ झूम उठे,ये खुशियों का त्यौहार है।
भूल जाये द्वेष सब,दिल में जो अहंकार है।
रंग जाये मानवता के रंग में,ये खुशियों का त्यौहार है।
“जयलाल कलेत “
