एम टी जी का जमाना है, जी एन जी का जमाना है।
हम सभी को मिलकर , चलो सिखर पे जाना है।
जो आज जाग न पाया, वो पीछे छूट जाएगा,
अगर न समझे वक्त को, तो किश्मत रूठ जाएगा।
अगर आजाद उड़ने की, कोई दिल में है तमन्ना ।
तो अपना नाम लिख डालों, अभी कोरा है ये पन्ना ।
जरा तुम सब्र तो कर लो, मोरल आसमान तक जायेगा।
खामोशी से ये करेंसी, दुनियाँ भर में छायेगा।
आने वाला हमारा कल, क्रिप्टो का जमाना है,
जेब में है अगर पैसे, तो हंसना और हंसाना है।
अभी सब आहें भर लो, कि कुछ कर गुजरना है।
इस दुनियाँ को अपने दम पे, मुठ्ठियों में करना है।
क्योंकि,,, एम टी जी का जमाना है, जी एन जी का जमाना है।
हम सभी को मिलकर, चलो सिखर पे जाना है।
“कवि जयलाल कलेत”