BhokochandBhokochand
  • Home
  • Latest News
  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Search
  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Copyright © 2024 Bhokochand.com. All Rights Reserved. Design by DEV
Reading: एमसीबी : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विशेष लेख.
Share
Sign In
Notification Show More
Font ResizerAa
BhokochandBhokochand
Font ResizerAa
  • Home
  • Latest News
  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Search
  • Home
  • Latest News
  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Copyright © 2024 Bhokochand.com. All Rights Reserved. Design by DEV
Blog

एमसीबी : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विशेष लेख.

Basant Ratre
Last updated: February 28, 2025 7:45 pm
Basant Ratre 26 Views
Share
7 Min Read
SHARE

विज्ञान, धर्म, अंधविश्वास और समाज के विकास में वैज्ञानिक सोच की भूमिका बहुत जरूरीमहेन्द्र सिंह मरपच्चीएमसीबी/28 फरवरी 2025राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन की महान खोज ‘रमन प्रभाव’ की याद में मनाया जाता है। उनकी इस खोज ने विज्ञान की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव लाया और भारत को वैश्विक वैज्ञानिक मंच पर पहचान दिलाई। विज्ञान का उद्देश्य तर्क, प्रयोग और अनुसंधान के माध्यम से सत्य की खोज करना है, जबकि धर्म नैतिकता, विश्वास और परंपराओं पर आधारित होता है। भारत में विज्ञान और धर्म दोनों की गहरी जड़ें हैं, लेकिन जब धर्म अंधविश्वास का रूप ले लेता है, तो यह समाज के लिए हानिकारक बन जाता है।रमन प्रभाव और राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्वपूर्ण महत्व…28 फरवरी 1928 को सर चंद्रशेखर वेंकटरमन ने अपनी महान खोज ‘रमन प्रभाव’ को दुनिया के सामने रखा था। इस खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। विज्ञान के प्रति रुचि और जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (NCSTC) ने 1986 में सरकार से इस दिन को ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में घोषित करने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इस दिन पूरे देश में विज्ञान से संबंधित कार्यक्रम, प्रदर्शनी, वैज्ञानिक संगोष्ठियाँ और नवाचार प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और लोगों को विज्ञान के महत्व से अवगत कराना रहता है।भारत में विज्ञान का ऐतिहासिक विकास…भारत में विज्ञान का विकास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक लगातार हुआ है। आर्यभट्ट, चरक, सुश्रुत, नागार्जुन जैसे वैज्ञानिकों ने अपने समय में गणित, चिकित्सा, रसायन और खगोल विज्ञान में महान योगदान दिया। आधुनिक युग में सी.वी. रमन, होमी भाभा, विक्रम साराभाई, एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों ने भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। विज्ञान ने कृषि, चिकित्सा, अंतरिक्ष, उद्योग, और शिक्षा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की। हरित क्रांति से भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना, बायोटेक्नोलॉजी से अधिक उपज देने वाले बीज विकसित हुए, और डिजिटल क्रांति से देश में सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार हुआ। इसरो ने चंद्रयान, मंगलयान, आदित्य एल-1 जैसी परियोजनाओं से भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बनाया।धर्म समाज का नैतिक आधार…धर्म भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न अंग है। यह समाज में नैतिकता, अनुशासन और शांति बनाए रखने में सहायक होता है। धर्म व्यक्ति को ईमानदारी, सहिष्णुता, करुणा और सत्य जैसे गुण सिखाता है। योग और ध्यान जो धार्मिक परंपराओं से जुड़े हैं, आज वैज्ञानिक रूप् से सिद्ध हो चुके हैं कि यह मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। धार्मिक त्योहार और अनुष्ठान समाज को जोड़ने का काम करते हैं और विभिन्न समुदायों में आपसी भाईचारे और एकता को मजबूत करते हैं।ज्यादा अंधविश्वास समाज के लिए हो सकता है खतरा…धर्म सकारात्मक दिशा में समाज को मार्गदर्शन देता है, लेकिन जब यह अंधविश्वास का रूप ले लेता है, तो यह समाज के लिए खतरा बन जाता है। अंधविश्वास के कारण वैज्ञानिक सोच की कमी हो जाती है। जैसे ग्रहण के समय भोजन न करना, बिल्ली के रास्ता काटने से अशुभ मानना, नींबू-मिर्च टांगने जैसी गैर-वैज्ञानिक धारणाएँ समाज में गहराई से हुई हैं। झूठे इलाज और तंत्र-मंत्र पर विश्वास करने से लोग गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर की बजाय झाड़-फूंक, ओझा, बाबा या तांत्रिक के पास जाते हैं, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। महिलाओं और कमजोर वर्गों को अंधविश्वास का सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ता है। कई इलाकों में ‘चुड़ैल’ बताकर महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है। आर्थिक रूप् से भी यह समाज के लिए नुकसानदायक होता है क्योंकि लोग ज्योतिषियों, तांत्रिकों और बाबाओं को भारी रकम देकर अपने भविष्य को सुधारने की कोशिश करते हैं, जो अक्सर धोखाधड़ी साबित होती है।भारत में ही नहीं विश्व स्तर पर अंधविश्वास की स्थिति बढ़ती है…अंधविश्वास सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्व भर में मौजूद है। अफ्रीकी देशों में जादू-टोना और काले जादू में विश्वास कई लोगों की जान ले लेता है। चीन में फेंग शुई पर अत्यधिक विश्वास होने के कारण वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने से बचा जाता है। अमेरिका और यूरोप में एस्ट्रोलजी और टैरो कार्ड जैसी प्रथाएं वैज्ञानिक सोच को प्रभावित करती हैं।ट्राइबल समाज के प्राकृतिक रीति-रिवाजों का वैज्ञानिक महत्व…भारत के विभिन्न ट्राइबल समुदायों, जैसे गोंड, संथाल, भील, बैगा, मुरिया, और अन्य जनजातियों का जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करता है। उनके रीति-रिवाजों और परंपराओं में कई वैज्ञानिक तत्व शामिल होते हैं, जिन्हें आधुनिक विज्ञान भी मान्यता देता है। जनजातीय समाजों में वर्षा जल संग्रहण और जल स्रोतों के संरक्षण की अत्यंत प्रभावी परंपराएँ हैं। राजस्थान के भील समुदाय पारंपरिक ‘टांका’ जल संग्रहण प्रणाली का उपयोग करते हैं। छत्तीसगढ़ और झारखंड के जनजातीय समुदाय कुंड, बावड़ी और प्राकृतिक झरनों को साफ रखते हैं। गोंड जनजाति ‘चाल-खाल’ तकनीक से भूजल स्तर बनाए रखते हैं। झूम खेती और मिश्रित फसलें मृदा की उर्वरता बनाए रखती हैं। बीजों का प्राकृतिक संरक्षण आधुनिक जैविक कृषि के लिए आदर्श उदाहरण है। ‘सरना स्थल’ (झारखंड) और ‘देवगुड़ी’ (छत्तीसगढ़) जैसे पवित्र स्थल वनों को संरक्षित रखते हैं। यह वनस्पतियों और जीवों की जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक होता है। बैगा, गोंड, और अन्य जनजातियाँ आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार विधियों में निपुण हैं। हल्दी, गिलोय, अश्वगंधा, और तुलसी जैसी औषधियाँ आधुनिक चिकित्सा में भी उपयोगी हैं।वैज्ञानिक सोच और परंपराओं का संतुलन ही भविष्य का मुख्य मार्ग…राष्ट्रीय विज्ञान दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह विज्ञान की शक्ति को समझने और उसे जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करता है। विज्ञान, धर्म, पारंपरिक ज्ञान और आदिवासी समाज के प्राकृतिक रीति-रिवाजों को एक साथ जोड़कर भारत को सतत विकास और वैज्ञानिक सोच की दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है। विज्ञान और परंपरा का सही तालमेल ही भविष्य का रास्ता है।

Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Copy Link
By Basant Ratre
Follow:
Bhokochand.com एक हिंदी न्यूज़ पोर्टल है , इस पोर्टल पर छत्तीसगढ़ सहित देश विदेश की ताज़ा खबरों को प्रकाशित किया जाता है|
Previous Article बीजापुर : सर्पदंश एंव तालाब में डूबने से मृत्यु होने पर आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत.
Next Article 1740814260 91a8de10e36b62fa9f75 रायपुर : वाणिज्य उद्योग एवं श्रम मंत्री श्री देवांगन के मुख्य आतिथ्य में पाली महोत्सव का हुआ समापन.
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

235.3kFollowersLike
69.1kFollowersFollow
56.4kFollowersFollow
136kSubscribersSubscribe

Latest News

महासमुंद : समाधान शिविर बना शासन और जनता के बीच सेतु
Blog May 13, 2025
राजनांदगांव : मुख्यमंत्री शासकीय अस्पताल रूपांतरण कोष अंतर्गत 3 करोड़ 56 लाख 70 हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति की गई प्रदान
Blog May 13, 2025
गौरेला पेंड्रा मरवाही : यातायात नियमों का अवहेलना करने पर 7 वाहन चालकों का ड्रायविंग लायसेंस निलंबित
Blog May 13, 2025
दंतेवाड़ा : राज्य की प्रावीण्य सूची में स्थान मिलने पर रामशिला को कलेक्टर ने किया सम्मानित
Blog May 13, 2025

Categories

  • Blog
Copyright © 2024 Bhokochand.com. All Rights Reserved. Design by DEV
  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?