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कमरगा पंचायत में सचिव की निरंकुशता! सामुदायिक भवन बना चावल गोदाम, 5 साल से नियमों की धज्जियाँ – ग्रामीणों का फूटा ग़ुस्सा, कार्रवाई की माँग तेज़…

Basant Ratre
Last updated: July 16, 2025 4:40 pm
Basant Ratre 55 Views
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5 Min Read
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रायगढ़। जिले के लैलूंगा विकासखंड की ग्राम पंचायत कमरगा में पंचायत सचिव सेमलाल लकड़ा की बेलगाम कार्यशैली अब ग्रामीणों के सब्र की सीमा को पार कर चुकी है। पाँच वर्षों से एक ही सवाल “जब पीडीएस भवन बना है, तो राशन सामुदायिक भवन से क्यों बंट रहा?” जवाब देने वाला कोई नहीं। सचिव की मनमानी और लापरवाही ने गांव की सामाजिक संरचना, सार्वजनिक व्यवस्था और प्रशासनिक गरिमा – तीनों को चोट पहुँचाई है।

सामुदायिक भवन या सरकारी गोदाम? – जिस सामुदायिक भवन का निर्माण ग्राम स्तरीय कार्यक्रमों, महिला स्वसहायता समूहों की बैठक, स्वास्थ्य शिविर, प्रशिक्षण जैसी गतिविधियों के लिए हुआ था, वह आज ‘चावल डिपो’ में तब्दील हो चुका है। राशन वितरण के दिन भवन में गंदगी, भीड़, शोरगुल और अव्यवस्था की अराजक तस्वीरें आम हो गई हैं। बुजुर्ग, महिलाएं और दिव्यांग लोगों को घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है। मानव गरिमा और सार्वजनिक सुविधा दोनों की हत्या हो रही है।

पीडीएस भवन बनाकर किया गया ठिकाने, सचिव बना रहा है बहाने :कमरगा पंचायत में सालों पहले पीडीएस भवन का निर्माण किया गया, लेकिन उसे उपयोग में लाने की बजाय सचिव सेमलाल लकड़ा उसे जानबूझकर अनुपयोगी बनाए हुए है। सवाल यह है कि आखिर वह भवन किसके लिए बना था? जनता पूछ रही है – क्या यह भी कोई निजी दुकान है जिसे जब चाहो बंद रखा जाए?

पंचायत संचालन में मनमानी, पंचगण भी नाराज़ : सचिव की तानाशाही यहीं नहीं रुकती – पंचायत के निर्माण कार्यों में न तो प्रस्ताव पारित होते हैं, न ही पंचायत प्रतिनिधियों से सलाह ली जाती है। कई बार पंचों ने विरोध जताया, लेकिन सचिव पर कोई असर नहीं पड़ा। निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता दोनों गायब हैं। ऐसा लगता है जैसे पंचायत नहीं, कोई निजी कंपनी संचालित हो रही हो।

सचिव का मुख्यालय गायब, जनता बेहाल : कमरगा पंचायत सचिव मुख्यालय में निवास नहीं करता। ग्रामीणों का आरोप है कि वह गांव से बाहर रहकर कामकाज निपटाता है। आम नागरिकों को छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए कई बार पंचायत का चक्कर काटना पड़ता है, और काम टलता रहता है। यह स्पष्ट रूप से लोकसेवा दायित्वों की अवहेलना है।❝ कब तक सहेगा गांव? ❞ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने ग्रामसभा, जनदर्शन, जनप्रतिनिधियों के माध्यम से कई बार शिकायतें कीं, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

अब वे कह रहे हैं -> “यदि शासन-प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो हम आंदोलन की राह अपनाएंगे।”

बोले स्थानीय प्रतिनिधि? – स्थानीय पंचगण और जनप्रतिनिधियों ने भी सचिव सेमलाल लकड़ा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह पंचायत भवन और संसाधनों का मनमाने ढंग से दुरुपयोग कर रहा है। उनका कहना है -> “यह केवल अनियमितता नहीं, बल्कि जनहित के अधिकारों का खुला उल्लंघन है।”

प्रशासन की अग्निपरीक्षा : अब यह मामला केवल पंचायत सीमा तक सीमित नहीं, बल्कि प्रशासन की न्यायप्रियता और जवाबदेही की अग्निपरीक्षा बन गया है। यदि इस मुद्दे पर समय रहते कड़ी और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होती, तो इससे न केवल जनता का प्रशासन से विश्वास डिगेगा, बल्कि अन्य पंचायतों में भी मनमानी को बल मिलेगा।*

✅ ग्रामीणों की माँगें –1. सामुदायिक भवन से तत्काल पीडीएस वितरण बंद किया जाए।

2. तैयार पीडीएस भवन का तत्काल उपयोग सुनिश्चित किया जाए।

3. सचिव सेमलाल लकड़ा की कार्यशैली की स्वतंत्र जांच हो।

4. मुख्यालय में निवास न करने पर नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई हो।

5. पंचायत निर्माण कार्यों की ऑडिट जांच कराई जाए।

📌 यह खबर सिर्फ एक पंचायत की नहीं, बल्कि उन सभी ग्रामीण आवाज़ों की है जो ‘प्रशासनिक लापरवाही’ के बोझ तले दब रही हैं। कमरगा की जनता जाग चुकी है – अब बारी शासन की है।

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By Basant Ratre
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