6 नवम्बर से 9 नवम्बर तक किया जा रहा है।मेले का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय ने किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय, जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार, जनपद सीईओ प्रमोद सिंह, डिप्टी कलेक्टर समीर बड़ा, जनप्रतिनिधिगण तथा स्व-सहायता समूह की बड़ी संख्या में महिलाएँ उपस्थित रहीं।अपने संबोधन में श्री सालिक साय ने कहा कि “जशपुर जिला अब विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।


जशपुर जम्बुरी और सरस मेला जैसे आयोजन न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि स्थानीय उत्पादों को नई पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि महिलाएँ आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रही हैं, और महुआ लड्डू, महुआ कुकीज, रागी उत्पाद जैसे वस्तुएँ अब अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो रही हैं।इस अवसर पर श्रीमती कौशल्या साय ने स्व-सहायता समूह की दीदियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि “सरस मेला महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और अपने उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने का सुनहरा अवसर प्रदान कर रहा है।
यही आत्मनिर्भर भारत की सच्ची झलक है।”जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार ने जानकारी दी कि इस मेले में सरगुजा संभाग के सभी छह जिलों — जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया और मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर की महिलाएँ अपने उत्पादों की प्रदर्शनी कर रही हैं। 15 से अधिक स्टॉलों में वनोपज आधारित वस्तुएँ, बांस उत्पाद, मिलेट आइटम, वस्त्र निर्माण, मसाले, आचार-पापड़, हस्तशिल्प और घरेलू सामान बिक्री के लिए प्रदर्शित किए गए हैं।मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है, उपभोक्ता स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी करते हुए दीदियों के परिश्रम की सराहना कर रहे हैं।
बलरामपुर की नीतू मंडल (शांति स्व-सहायता समूह) ने बताया कि उनके समूह की महिलाएँ वस्त्र निर्माण से हर माह 60 से 70 हजार रुपये की आमदनी अर्जित कर रही हैं। वहीं मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले की ईशा रजक, सिद्धबाबा महिला फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) से जुड़कर जीराफुल चावल, आचार और पापड़ की बिक्री से लखपति महिला उद्यमी बनने की राह पर हैं।जशपुर कांसाबेल की रानी मुस्कान समूह बांस की टोकरी, सजावटी सामान, माला, ईयरिंग, आचार-पापड़ बेच रहे हैं, जबकि फरसाबहार की माधुरी निकुंज (निकुंज महिला समूह) हल्दी-मिर्च मसाला की बिक्री कर रही हैं।
