
स्थानः मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल दिनांकः 03 जून 2025
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) कर्मचारी संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल में आयोजित की गई, जिसमें एन.एच.एम. कर्मचारियों के वार्षिक कार्य मूल्यांकन (सी.आर.) में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने, अतिरिक्त कार्यभार को नियंत्रित करने, और लंबित मांगों को पूरा करने जैसे अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।

बैठक में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने उच्च अधिकारियों से संरक्षक की भूमिका निभाने का आह्वान किया और कर्मचारियों के उत्पीड़न के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की चेतावनी दी।
’सी.आर. प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग’
* संघ ने शासन को पत्र लिखकर एन.एच.एम. कर्मचारियों के वार्षिक कार्य मूल्यांकन (सी.आर.) में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की है। कर्मचारियों का मूल्यांकन केवल उनके कार्य निष्पादन और निर्धारित दायित्वों के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि व्यक्तिगत पसंद-नापसंद, पूर्वाग्रह या दुर्भावनापूर्ण विचारधारा के आधार पर। संघ ने चेतावनी दी कि दुर्भावनापूर्ण और पक्षपातपूर्ण सी.आर. प्रक्रिया के कारण कर्मचारियों का इंक्रीमेंट रोका जाता है, जिससे न केवल उनका मनोबल प्रभावित होता है, बल्कि उनकी वेतन वृद्धि और भविष्य की नियुक्तियों पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।

संघ ने मांग की कि मूल्यांकन प्रक्रिया पूर्णतः निष्पक्ष, पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ हो, ताकि कर्मचारियों में कार्य के प्रति विश्वास और प्रेरणा बनी रहे। विगत वर्षों में कई जिलों में दुर्भावनापूर्ण मानव संसाधन नीतियों के कारण कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया, जिन्हें माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर पुनः बहाल किया गया। संघ ने सभी विभाग प्रमुखों से आग्रह किया कि वे संरक्षक की भूमिका निभाएं और कर्मचारियों को पक्षपात से बचाते हुए उचित अवसर, मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करें।
’दुर्भावनापूर्ण सीआर और उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी’

संघ ने स्पष्ट किया कि यदि व्यक्तिगत द्वेष के कारण सी.आर. खराब करने या इंक्रीमेंट रोकने की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो वह इसका कड़ा विरोध करेगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा। हाल ही में जंगलपुर आयुष्मान आरोग्य मंदिर, ब्लॉक छुहीखदान में पदस्थ सी.एच.ओ. आरती यादव द्वारा अधिकारियों की मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने का दुखद मामला सामने आया, जिसके बाद कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल ने जांच समिति गठन का आदेश दिया। संघ ने चेतावनी दी कि पिछले वर्षों में 26 एन.एच.एम. कर्मचारियों की नौकरी समाप्त की जा चुकी है, और ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
’अतिरिक्त कार्यभार और टी.ओ.आर. का पालन’
संघ ने इस बात पर जोर दिया कि एन.एच.एम. के अंतर्गत सी.एच.ओ., जे.एस.ए., सेकंड ए.एन.एम. और अन्य कर्मचारियों के लिए निर्धारित टर्म्स ऑफ रिफरेंस (टी.ओ.आर.) में उनके कर्तव्यों और दायित्वों का स्पष्ट उल्लेख है। फिर भी, कुछ जिलों में सी.एम.एच.ओ./बी.एम.ओ. द्वारा सचिव महोदय के आदेशों की अवहेलना करते हुए कर्मचारियों को उनके टी.ओ.आर. से इतर अतिरिक्त ऑनलाइन कार्यभार सौंपा जा रहा है। यह न केवल प्रशासनिक असमानता को जन्म देता है, बल्कि कर्मचारियों पर मानसिक दबाव डालता है और कार्य की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। संघ ने मांग की कि सभी एन.एच.एम. कर्मचारियों से केवल उनके टी.ओ.आर. के अनुरूप कार्य लिया जाए और अतिरिक्त ऑनलाइन कार्यों से मुक्त रखा जाए। इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, ताकि कार्यक्षेत्र में पारदर्शिता और संतुलन बना रहे। ऑनलाइन कार्य को लेकर उत्पन्न गतिरोध का तत्काल समाधान निकाला जाए।
’लंबित मांगों को लेकर आंदोलन की रणनीति’
बैठक में एन.एच.एम. कर्मचारियों की 20 वर्षों से लंबित मांगों, जैसे नियमितीकरण, ग्रेड-पे, सेवा-पुस्तिका संधारण, मेडिकल सुविधा/अवकाश, स्थानांतरण नीति, और अनुकंपा नियुक्ति पर चर्चा की गई। पिछले माह इन मांगों को लेकर 01 मई मजदूर दिवस के अवसर पर, स्वास्थ्य भवन का घेराव किया गया था, जिसमें प्रशासन ने एक माह में मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया था। हालांकि, एक माह बीतने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है, एवं अन्दर ही अन्दर आंदोलन की रणनीति बन रही है। संघ ने आगामी रणनीति और प्रदेशव्यापी आंदोलन की योजना बनाई, जिसमें सभी जिला मुख्यालयों में प्रेस कॉन्फ्रेंस और धरना-प्रदर्शन शामिल हैं। संघ ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि मांगें शीघ्र पूरी नहीं की गईं, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल सहित बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।
’प्रदेश अध्यक्ष का बयान’
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने कहा, ‘‘एन.एच.एम. कर्मचारी पिछले 20 वर्षों से अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारी मांगें जायज हैं, और हम चाहते हैं कि प्रशासन हमारी समस्याओं का तत्काल समाधान करे। कर्मचारियों का उत्पीड़न और पक्षपात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम सभी उच्च अधिकारियों से संरक्षक की भूमिका निभाने का आग्रह करते हैं, ताकि कर्मचारियों को न्याय और सम्मान मिले।‘‘