
सारंगढ़-बिलाईगढ़। जिले के गुड़ेली-टिमरलगा क्षेत्र में लंबे समय से संचालित गौण खनिज खदानों में व्यापक अनियमितताओं को लेकर जिला कलेक्टर जनदर्शन में एक विस्तृत शिकायत प्रस्तुत की गई है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि क्षेत्र में स्वीकृत 10 खनिज लीजों में से अधिकांश पर वास्तविक खनन कार्य कभी आरंभ ही नहीं हुआ, फिर भी संबंधित लीज धारकों द्वारा खनिज विभाग से बार-बार रॉयल्टी पर्चियाँ जारी करवाई जाती रही हैं, जिससे न केवल नियमों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि राजस्व को भी भारी क्षति पहुँची है।
खसरा नंबर चिन्हांकित, पर खनन नहीं – फिर भी जारी हो रही रॉयल्टी पर्चियाँ :शिकायत में उल्लेख है कि जिन खसरा नंबरों पर खनन की अनुमति दी गई, वहां वर्षों से कोई सक्रिय खनन कार्य नहीं हुआ है।
बावजूद इसके, विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से रॉयल्टी पर्चियाँ जारी होती रहीं। सूत्रों के अनुसार, प्रति टन ₹25 की दर से बिना खनन किए रॉयल्टी जारी कर राजस्व को हानि पहुँचाई गई है। यह कार्य न केवल खनिज नियमों के विरुद्ध है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करता है।
अन्य क्रशरों को सहमति देकर किया गया अनुचित लाभ अर्जन : शिकायत में यह भी बताया गया कि कुछ लीजधारक अपने क्रशर का संचालन न करते हुए, अन्य अवैध क्रशर चालकों को सहमति देकर पत्थर क्रय-विक्रय में संलग्न हैं। इस प्रकार वे अपने नाम की लीज का दुरुपयोग करते हुए खनिज विभाग से प्राप्त रॉयल्टी का व्यापारिक लाभ उठा रहे हैं।
स्वीकृत लीज स्थलों का अब तक नहीं हुआ स्वतंत्र निरीक्षण : यह अत्यंत गंभीर तथ्य है कि अब तक खनिज विभाग द्वारा इन स्वीकृत लीज स्थलों का कोई भौतिक सत्यापन या निरीक्षण नहीं किया गया है, जिसके कारण यह घोटाला वर्षों तक निर्बाध चलता रहा। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि प्रत्येक लीज स्थल का स्थलीय निरीक्षण स्वतंत्र एजेंसी द्वारा किया जाए।
जांच की मांग किन 10 लीजधारकों के विरुद्ध की गई है :जगदम्बा स्पंज प्रा.लि. – डायरेक्टर शिव अग्रवाल श्याम मिनरल्स – दीपक सिंघलएसएस मिनरल्स – श्यामलाल अग्रवालछत्तीसगढ़ ट्रेड लिंक – विवेक अग्रवालजगदम्बा स्टील एंड पॉवरटेक लिमिटेड – बालमुकुंद अग्रवालविनायक स्टोन क्रशर उद्योग – श्रीमती वर्षा बंसलमां नाथल दाई क्रशर उद्योग – शिव कुमार अग्रवालकेजरीवाल क्रशर उद्योग – श्रीमती सुशीला रतेरियामां भवानी मिनरल्स – विनय कुमार गुप्तासिंघल क्रशर उद्योग – गोपाल प्रसाद अग्रवालइन सभी लीजों से संबंधित खसरा नंबरों की जांच शिकायतकर्ता की उपस्थिति में कराए जाने की मांग की गई है।
*प्रशासन ने जांच का दिया आश्वासन, निगाहें अब कार्रवाई पर : जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का आश्वासन दिया है। अब देखना यह है कि क्या वास्तव में दोषियों के विरुद्ध निष्पक्ष कार्रवाई होगी, या यह शिकायत भी अन्य प्रकरणों की भांति प्रशासनिक फाइलों में दबी रह जाएगी।
जनहित में आवश्यक है निष्पक्ष जांच : खनिज विभाग में इस प्रकार की अनियमितताएँ केवल आर्थिक क्षति नहीं पहुंचातीं, बल्कि सत्ता और पूंजी के गठजोड़ की छवि को भी उजागर करती हैं, जिससे आमजन का विश्वास प्रशासनिक व्यवस्था से उठ सकता है।
यह प्रकरण जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का एक अवसर है, जिसे जिला प्रशासन को गंभीरता से लेना चाहिए।यदि प्रशासन लीज स्वीकृति, जारी रॉयल्टी एवं भौतिक खनन की स्थिति की निष्पक्ष जांच करता है, तो इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है।