सड़कें हों व्यस्त, या राहें हों कठिन,
हर मोड़ पर खड़े, सदा सतर्क, नित दिन।
नियमों का प्रहरी, अनुशासन के रक्षक,
शांति और व्यवस्था के वो हैं मुख्य सर्जक।
रामगोपाल करियारे, नाम है उजाला,
बिलासपुर की सड़कों पर उनका ही हवाला।
सिर्फ अफसर नहीं, एक सोच हैं बड़ी,
हर जीवन सुरक्षित, यही उनकी कड़ी।
हेलमेट की बात हो, या सीट बेल्ट का संदेश,
उनकी नज़रें रहती हैं सब पर विशेष।
शिक्षा, समझाइश, और नियमों का मेल,
उनकी नीति से बदला है यातायात का खेल।
जनता के सेवक, कर्तव्य के पथिक,
हर मुश्किल में रहते हैं पूर्णतः सक्रिय।
ट्रैफिक के रण में, वीर योद्धा समान,
करते हैं काम वो सच्चे महान।