रायगढ़/तमनार।
एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां के नाम पर पेड़ लगाकर पर्यावरण प्रेम का संदेश दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में अडानी समूह पर हजारों पेड़ काटने और फर्जी ग्राम सभा के जरिए पर्यावरण विभाग से अनुमति लेने का गंभीर आरोप लग रहा है।
साराइटोला गांव में हुआ यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब ग्रामीणों ने पेड़ कटाई का विरोध किया और ग्राम सभा के कथित निर्णय को लेकर सवाल उठाए। हैरानी की बात यह है कि जिस आदेश का हवाला देकर अडानी समूह महाजेनको परियोजना के लिए पेड़ कटाई करवा रहा है, वह आदेश न केवल संदिग्ध है बल्कि पूरी तरह से कूट रचित बताया जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम सभा की बैठक कभी हुई ही नहीं, फिर भी दिनांक 8 अक्टूबर 2022 को ग्राम सभा की सहमति दर्शाई गई है। सबसे गंभीर बात यह है कि उस आदेश में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं था, न ही किसी अधिकारी का नाम या हस्ताक्षर है। केवल एक सचिव की उपस्थिति दिखाकर प्रस्ताव पास कर दिया गया, और जयशंकर राठिया नामक एक व्यक्ति को गांव का अध्यक्ष बताया गया — जबकि ग्रामीणों के अनुसार वह व्यक्ति गांव का निवासी ही नहीं है!
अब गांव के लोग पूछ रहे हैं कि आखिर वह “इनविज़िबल ग्राम सभा” कब और कहां हुई? और जो अध्यक्ष नामित किया गया है, वह कौन है?
इस फर्जीवाड़े को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। साराइटोला के सरपंच अमृत लाल ने तमनार थाना में एक आवेदन देकर महाजेनको कंपनी के अधिकारियों पर फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
प्रशासन की चुप्पी संदेहास्पद
इस गंभीर मामले में अभी तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। उल्टा जिन ग्रामीणों ने पेड़ कटाई का विरोध किया, उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि अडानी समूह द्वारा प्रस्तुत फर्जी दस्तावेज BNS की धारा 318(2) व 318(4) के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं, जिसमें 3 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।
सियासत गर्म, कार्रवाई ठंडी
तमनार क्षेत्र के 14 गांवों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है ताकि भूमिगत कोयला उत्खनन किया जा सके। इस पर राजनीतिक दल भी आमने-सामने हैं। कांग्रेस ने प्रदर्शन और धरना देकर विरोध दर्ज कराया और चेतावनी दी है कि 13 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया जाएगा।
सरकारी पर्यावरण प्रेम सवालों के घेरे में
सवाल ये है कि क्या सरकार मोदी के लगाए पेड़ों की हरियाली दिखाकर जनता को भ्रमित कर रही है, जबकि अडानी समूह को आज प्रदूषण रोकने वाले हरे-भरे जंगल काटने की छूट दे दी गई है? क्या यही है सरकारी पर्यावरण नीति, जिसमें पेड़ लगाने के नाम पर करोड़ों का प्रचार और पेड़ काटने के नाम पर करोड़ों का खनन मुनाफा?
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस फर्जीवाड़े पर चुप रहेगी या कार्रवाई करेगी। ग्रामीणों की मांग है कि तत्काल FIR दर्ज हो और अडानी समूह एवं महाजेनको के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए।
रिपोर्ट: बसंत कुमार रात्रे, घरघोड़ा
✍🏻